सुर संस्कृत में छठ-महिमा, सब मुक्त कंठ से गाते हैं। तब सविता के प्रखर प्राण को, आत्मसात् कर पाते हैं।। शुचि, आहार-विहार नीति का, पालन इसमें होता है, फिर…
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नित दिन प्रातः आता सूरज- संजय कुमार
नित दिन प्रातः आता सूरज नित नया सिखलाता है। नित सवेरे आकर कहता, नया जीवन ही जग पाता है।। कहता है यह नित दिन आकर मृत्यु क्षय नहीं प्रकृति में…
व्रत अनोखा छठी मईया का- भोला प्रसाद शर्मा
छठी मईया का व्रत अनोखा, धूप में तपते श्रद्धालु लोका। सूरज को अर्घ्य देने का ये पर्व, मिटाता दुखों का हर एक खर्व। सूरज की किरणें पावन छवि, आस्था…
व्रत अनोखा छठी मईया का- भोला प्रसाद शर्मा
छठी मईया का व्रत अनोखा, धूप में तपते श्रद्धालु लोका। सूरज को अर्घ्य देने का ये पर्व, मिटाता दुखों का हर एक खर्व। सूरज की किरणें पावन छवि, आस्था…
स्मृति शेष – संजय कुमार
बहुत स्नेह करता था न! तू मुझे, सब कुछ बताता था, कहता था कुछ भी नहीं छुपाता मैं तुझसे मैं विस्मित करता तुझे तू मुझे ज्यादा विस्मित कर देता…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
पर्व दिवाली ज्योति का, करता तम का अंत। खुशियाँ बाँटें मिल सभी, कहते सब मुनि संत। कहती दीपों की अवलि, दूर करें अँधियार। दुख दीनों का दूर कर, लाएँ नव…
दीप जलाओ रे- प्रियंका कुमारी
दीप जलाओ रे! दीप जलाओ रे! ढोलक बजाओ रे ! गीत कोई गाओ रे ! शुभता, मंगल का, गीत गुनगुनाओ रे ! दीप जलाओ रे ! दीप जलाओ रे…
जरा रौशनी फैला दें- अमरनाथ त्रिवेदी
जीवन मिला हमें जब , जरा रौशनी फैला दें । दूसरों के दर्द को भी , अपने दर्द में मिला लें।। दीपों की रौशनी में, हम अपना दुःख भुला दें।…
एक दीप इनके नाम – संजय कुमार
आइए, जलाते हैं एक दीप अपने माता-पिता की लम्बी आयु के लिए, जिन्होंने हम सबको सुंदर संस्कार दिए। आइए, जलाते हैं एक दीप अपने गुरुजनों के लिए, जो अच्छी शिक्षा…
दीपोत्सव हमें मनाना है – रामकिशोर पाठक
हर तरफ घोर अँधियारा है, एक दीप हमें जलाना है। आज रात दिवाली की, दीपोत्सव हमें मनाना है। घर का कोना साफ हो गया, दीपों से इसे सजाना है।…