सूरज भैया – अवनीश कुमार

  सूरज भैया सूरज भैया क्यों है तुम्हारे गाल लाल क्या मम्मी ने तुम्हें डाँटा है या पापा ने मारा तमाचा है? ये गुलाबी नहीं दिखते मुझको तुम्हारे अंगारों से…

दूर तक चलते हुए -शिल्पी

घर की ओर लौटता आदमी होता नहीं कभी खाली हाथ हथेलियों की लकीरों संग लौटती हैं अक्सर उसके अभिलाषाएं, उम्मीद, सुकून और थोड़ी निराशा घर लौटते उसके लकदक कदम छोड़ते…

दैनिक कार्य – गिरीन्द्र मोहन झा

  सूर्योदय से पूर्व जाग उदित सूर्य संग क्रियाशील जीवन का आरंभ करना, पृथ्वी, सूर्य, गुरु और ईश्वर की थोड़ी उपासना अवश्य करना, योगाभ्यास, व्यायाम कर अपने शरीर को स्वस्थ…

अविरल – शिल्पी

उम्र जो थी चुनने की भविष्य एक वह चुनता रहा कबाड़ बीनता रहा कचरा इतर किसी सुगंध-दुर्गंध के भेद के भांति किसी कर्मठ कर्मयोगी के। आशंका- अनुशंसा या किसी संशय…