हिन्दी को नित्य पढ़ने की, पढ़ाने की अभिलाषा है, गर्व है हम भारतीयों को, यह भारत की भाषा है। उड़ें गगन में दूर तलक, पर जमीं हमेशा याद रहे,…
हिंदी दिवस – अमरनाथ त्रिवेदी
हिंदी दिवस मनाएँ ऐसे, जिसमें भाव प्रवणता हो। दिल ही नहीं दिमागों में भी , कार्य करने की क्षमता हो।। हिंदी हमारी मातृभाषा है, इसको सदा सशक्त करें। यही तो…
हिंदी राष्ट्रभाषा- रूचिका
हिंदी मेरी जुबान हिंदी मेरी पहचान, कभी भावनाओं के ज्वार थामे, कभी जज्बातों को दे पहचान। हिंदी मेरी जुबान। कल्पनाओं के जो महल बनाई, दर्द की तीव्रता जब…
मैं नारी हूँ- प्रियंका कुमारी
अबला नहीं, मैं नारी हूँ। करुणामयी , कल्याणी हूँ।। लज्जा सदैव सिरमौर रहा, अंतस में है कुछ खौल रहा , मैं दबी राख, चिंगारी हूँ। अबला नहीं, मैं नारी…
मंगलकर्त्ता गणेश – रत्ना प्रिया
हे गजानन, विघ्नविनाशक, आप हैं मंगलकर्त्ता। हे विनायक, शुभ बुद्धिदायक, कष्ट हरो दु:खहर्त्ता।। आए हैं प्रभु, शरण तिहारी, जीवन मंगल कर दो, दुर्बुद्धि, छल का भाव, मिटा दो, मन में…
किसने रोका है – गिरीन्द्र मोहन झा
अंधेरा घोर घना है, एक बत्ती जलाने से किसने रोका है? प्रदूषण है यदि बहुत अधिक, एक पेड़ लगाने से किसने रोका है? निराशा है चारों ओर, उर में उत्साह…
मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह
भाद्रपद शुक्लपक्ष, धन्य हे सुलक्ष्य लक्ष, वक्रतुंड महाकाय, चरण पखारते। कोमल- कोमल दूर्वा, मोदकम मोतीचूर्वा, मूषक वाहन बीच, लाल ही स्वीकारते। लाल वस्त्र लाल फूल, रक्त चंदन कबूल, नारियल संग…
आसमान पर छाओगे – कुमकुम कुमारी
सत्य मार्ग पर चलकर देखो, अद्भुत सुख को पाओगे। कभी नहीं तुम विचलित होगे, और नहीं पछताओगे।। जलने वाले वहीं रहेंगे, तुम आगे बढ़ जाओगे। जल-जल कर वो राख बनेंगे,…
मेरी अभिलाषा – डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
अभिलाषा अहर्निश है मेरी संताप हरने की। जीवन में सत्य सुन्दर और अतुलित प्राण भरने की। समर्पित इस धरा को तम से आजाद करने की। अभिलाषा अहर्निश है मेरी संताप…
मेरी अभिलाषा – डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
अभिलाषा अहर्निश है मेरी संताप हरने की। जीवन में सत्य सुन्दर और अतुलित प्राण भरने की।। समर्पित इस धरा को तम से आजाद करने की। अभिलाषा अहर्निश है मेरी…