गीदड़ तब शोर मचाएगा – रामपाल प्रसाद सिंह

गीदड़ तब शोर मचाएगा…

निज शेर पाॅंव पीछे खींचे।
निज ऑंखों को करके नीचे।।
तब बुरा समझ कहलाएगा
गीदड़ तब शोर मचाएगा

मौसम छाया कई दिनों से।
चल रहे हैं पर महीनों से।।
अब और कहाॅं तक जाएगा.
गीदड़ तब शोर मचाएगा.

जब खुद पर है विश्वास नहीं।
फलदायी होगी आस कहीं।।
दुर्भाग्य ध्वज लहराएगा….
गीदड़ तब शोर मचाएगा….

लक्ष्मण रेखा को छोड़ अरे।
लक्ष्य नई दिश में मोड़ अरे।।
जनता को कब सहलाएगा.
गीदड़ तब शोर मचाएगा.

जब समय रहे बलवान नहीं।
समझौता कर बलवान कहीं।।
अनुकूल समय घर आएगा
गीदड़ तब शोर मचाएगा.

सूरज किरणें अब भी भटकीं।
निर्णय पर ॲंखियाॅं हैं अटकीं।।
दर्द ‘अनजान’दिखलाएगा
गीदड़ तब शोर मचाएगा.

रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय दरवेभदौर
प्रखंड पंडारक पटना बिहार

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