चलो प्रेम के दीप जलाएं। भेदभाव को दूर भगाएं। मानव में क्यों द्वेष आज है। खंडित होता क्यों समाज है। आओ गीत मिलन के गाएं। चलो प्रेम के दीप जलाएं।…
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ओज़ोन दिवस – रणजीत कुशवाहा
आज दिवस है बहुत विशेष। ओज़ोन दिवस पर यह संदेश।। ज्यों बढ़ता कार्बन उत्सर्जन। घटे परत ओज़ोन दिनों -दिन।। वसुंधरा नित रही कराह। निकल रही ओज़ोन की आह।। अगर नहीं…
जंगल में विद्यालय- रणजीत कुशवाहा
शिक्षा बना बाजारवाद का आलय। जंगल में खुला ग्लोबल विद्यालय।। जब जंगल में विद्यालय खुला। प्रचार प्रसार खुब जमके हुआ।। उत्साहित थे सभी जानवर। नाम लिखाये सब जमकर।। महंगी फीस…
वर्षा रानी- रणजीत कुशवाहा
खुब बरसों प्यारी वर्षा रानी। पग-पग कर दो पानी-पानी।। बादलों से मोरों को नचा ओ। मेंढक की टर्र – टर्र सुनाओ।। पेड़-पौधों में हरियाली दो। जीव-जंतु में खुशहाली दो।। जब…
प्रकृति और मनुष्य- रणजीत कुशवाहा
प्रकृति है जीवन का आधार। मनुष्य ने किया इससे खिलवाड़।। गगनचुंबी इमारत की जाल बिछाई। धरा पर कंक्रीट रुपी जंगल फैलाई।। पेड़-पौधे की अंधाधुंध कर कटाई। कृषि योग्य उपजाऊ भूमि…
मैं खुश हूं कि- रणजीत कुशवाहा
मैं खुश हूं कि क्योंकि मैं थोड़ा बहुत कमा लेता हूं, यानि बेरोजगार तो नहीं हूं , जो बेरोजगार लोग होंगे उनका जीवन यापन कितनी कठिनाई से गुजरती होगी। मैं…
रुप अनेक पर मैं इक नारी हूं-रणजीत कुशवाहा
अपने पापा की प्यारी परी हूं। जननी मां की राज दुलारी हूं।। बड़े भैया की बहना न्यारी हूं। बाबुल के अंगना की फूलवारी हूं ।। मैं तो दो जहां की…
हम लड़की है- रणजीत कुशवाहा
हमें किसी से भावानात्मक लगाव होता है, लेकिन आप लोग जिस्मानी समझ लेते हो। हम सोशल मीडिया पे आपके विचारों को पसंद करतें हैं । आप ये समझने लगते है…
अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस- रणजीत कुशवाहा
जन जन में बढ़ रही है इर्ष्या, खंडित हो रहा हमारा समाज। इस भेदभाव को दूर भगाएं, चलो प्रेम का एक दीप जलाएं ।।१ ऊँच-नीच की पहचान छोड़ दें, जाति…
नव वर्ष बाल संकल्प गीत- रणजीत कुशवाहा
नव वर्ष में करते हैं वायदा। पढ़ेंगे पहले से भी ज्यादा।।१ नित्य नियम से स्कूल जायेंगे। जल्दी- जल्दी ज्ञान बढ़ायेगे।।२ मानेंगे माता, पिता, गुरु का कहना। हमको अनपढ़ बनकर नहीं…