मनहरण घनाक्षरी
आमोद प्रमोद संग,
मन में भरे उमंग,
आह्लाद विनोद रंग, नृत्य कर लीजिए।
तन मन झूम उठे,
आलस्य भी रहे रूठे,
योग सरिस अनूठे, कृत्य यह कीजिए।
नृत्य कृत्य हो अभ्यास,
भरत मुनि का खास,
नाट्यशास्त्र में विश्वास, मान रस पीजिए।
ब्रह्मा का विधान जान,
लिया प्रेम से जो ज्ञान,
जग में मिले सम्मान, ध्यान यह दीजिए।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978
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