आलू की असलियत कि इंसानी फितरत- नवाब मंजूर

Nawab

( भोजपुरी तड़का )

आलू जवन लाल हो जाला
कमाल हो जाला
एकदमे गुलाल हो जाला
फूल के गुलाब हो जाला
सबका ईहे# सोहाला!

उजरका ना भा#ला
का त# ई भसभसवा हअ
सब्जी तरकारी ठीक ना होला
टाइट लागेला….
स्वाद ना बुझाए!
तनी चोखवे ठीक लागेला?
बस…

बाकी ललका त# ललके ह#
चोखा चटनी अचार भुजिया तरकारी
कुछहू बनाईं नीक लागेला
एही#से ई ललका# हाथों हाथ बिकेला

अब एमे आलू के का दोष?
ऊ का# जाने ललका# उजरका#
आलू त# आलू ह#
देखे के नजरिया आपन आपन
हमनी के लागे बेजाए चाहे निमन !

इहे सच्चाई बा
बाकी सब मोह-माया बा !
का ?…..

©नवाब मंजूर
प्रधानाध्यापक, उमवि भलुआ शंकरडीह, तरैया (सारण)
#नवाबमंजूरकी_कविताएं

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