दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

गिरिजापति भूतेश शिव, आया हूँ दरबार। विनती बारंबार है, करिए बेड़ा पार।। अंतक अक्षय आप हो, उमापति विश्वनाथ। नीलकंठ शिवमय सदा, उमा शक्ति है साथ।। शादी भोलेनाथ की, महिमा अपरंपार।…

सच में जीवन जीना सीखें – अमरनाथ त्रिवेदी

रोते को  हँसाना  सीखें, जग में नाम कमाना सीखें।   कभी न झगड़ा झंझट करें, दिल खुशियों से भरा करें। मन से दुख को जाएँ भूल, यही जीवन में रखना वसूल। जीवन में सुख-दुःख…

रूप घनाक्षरी – रामकिशोर पाठक

अनुपयोगी का साथ, हानिकारक का हाथ, प्रदूषण कहलाता, बिगड़ जाता है काज। भूमि जल वायु संग, ध्वनि प्रकाश का ढंग, या तकनीकी संचार, सभी प्रदूषित आज। प्लास्टिक को रोककर, पेड़…

देव घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक

विज्ञान की बात करें, न्यूटन के साथ करें, जिन्होंने है सिखलाया, नियम ऊर्जा संरक्षण। पृथक निकाय को लें, समय स्थान बदलें, पर होता कभी नहीं, संचित ऊर्जा का क्षरण। अक्सर…

हाथ बढ़ा प्रभु मंगल दीजै – कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

है अति बेकल नैन हमारे। दर्शन को प्रभु राम तुम्हारे।। देकर दर्शन काज सँवारें। नाथ हमें भव से अब तारें।। थाल सजाकर मैं प्रभु आई। पूजन पूर्ण करो रघुराई।। हाथ…

वेदमाता भवानी – कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

करूँगी सदा वंदना मैं तुम्हारी, भवानी सुनो प्रार्थना है हमारी। बना दो विवेकी हरो अंधियारा, पुत्री हूँ तुम्हारी बनो माँ सहारा। मिटा दो भवानी अज्ञता हमारी, करूँगी सदा वंदना मैं…

वीणा की झंकार – रत्ना प्रिया

प्रकृति के मनोहर आँगन में, वसंत की बहार है, वागेश्वरी के वीणा की, गूँजती झंकार है। श्वेत पद्म व श्वेत वस्त्र हैं, श्वेत वाहन धारती, नीर-क्षीर-विवेक प्राप्त जो सदभक्तों को…

मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक

अंडाकार पथ पर, ग्रह लगाते चक्कर, सूर्य रहता केन्द्र में, परिक्रमा मानिए। सूर्य की पृथ्वी चंद्रमा, करे सदा परिक्रमा, तीनों सरल रेखा में, ग्रहण बखानिए। बीच में जो पृथ्वी आए,…