विद्या;- मनहरण घनाक्षरी छंद ऊँचे ओहदेदारों की, हो जाता गुनाह माफ, गरीबों की गुस्ताखी पर, मच जाता शोर है। पद के रसूखदार, तोड़ते कानून रोज, बलवानोंअमीरों पे, चलता न जोर…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
अच्छा लगूंगा – अवनीश कुमार
मै अच्छा लगूंगा ही नहीं अच्छा दिखूंगा भी सही मै अच्छा लगूंगा ही नहीं अच्छा दिखूंगा भी सही मेरी कमियों को किनारे रख देख तो सही मेरी खूबियों को खूबसूरती…
मतदान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
विषय:- मतदान जलहरण घनाक्षरी छंद चुनावी त्यौहार आया, वादों की बहार लाया, लगाते हैं नारे सभी, नए-नए गढ़कर। भीड़ होती रैलियों में, शोर होता गलियों में, झुंड में प्रचार करें,…
मतदान- एस.के.पूनम
विधा:-जलहरण घनाक्षरी विषय:-मतदान। चुनाव का शंखनाद, स्वपनों का डाले खाद, देने को वचनबद्ध,नव रीत गढ़कर। पूनम की चाँद आज, करे कुछ ऐसा काज, नेता हाथ जोडकर,वोट माँगे मढ़कर। मतदान अधिकार,…
सम्मान मिले अपार- एस.के.पूनम
विधा:-रूपघनाक्षरी सम्मान पाकर कवि, पाते हैं हर्षित छवि, नित्य दिन लेख छपे,ऐसा करे विचार। आलस्य को त्याग कर, शनैः शनै अभिसार, रुका नहीं लेखयंत्र,नित्य करे नवाचार। दवात में भरे स्याही,…
मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रातः हम जग जाएँ, शीतल समीर पाएँ, प्राची की लालिमा देख, कदम बढ़ाइए। हरे-भरे तरु प्यारे, लगते सलोने न्यारे, इनके लालित्य पर, मन सरसाइए। नदी का पावन जल, बागों के…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
श्रमिक दिवस पर हम सभी, करें श्रमिक-सम्मान। श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।। श्रम को जीवन धारिए, करिए मत आराम। यही श्रमिक की साधना, यही फलित आयाम।। सत्कर्मों…
विधा: कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
आओ मिलकर हम सभी, करें श्रमिक सम्मान। श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।। नवल शक्ति पहचान, दिव्य आँखों से करिए। श्रम है बड़ा महान, इसे निज मन में…
कैसी ये पहेलियाँ- एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी (कैसी ये पहेलियाँ) पतझड़ में पत्तियां, दूर चली उड़कर, शांत मौन नभचर,सूनी-सूनी डालियाँ। कलियाँ भी मुर्झाकर, बिखरी है सूख कर, मंडराता मधुकर,अब कहाँ क्यारियाँ। चमन उजड़ गया, उड़…
धोखे से बचाता हूँ – एस.के.पूनम।
कृष्णाय नमः मनहरण घनाक्षरी (धोखे से बचाता हूँ ) चलें चल पाठशाला, देखो खुल गया ताला, गुरु खड़े द्वार पर,उनको बुलाता हूँ। वर्णमाला सीखकर, गोल-गोल लिखकर, दादा-दादी नाना-नानी,सभी को लुभाता…