उम्मीद का दिया : एक शिक्षक की दीपावली उम्मीद का दिया जलाता हूँ, जीवन को नया अर्थ देता हूँ। कुछ नया कर गुज़रने की चाह से, अपने अन्तर्मन को जगाता…
मर्द
क्या मर्द को दर्द नहीं होता ? …
दिवाली – नीतू रानी
दिवाली। -सादगी से दिवाली। आओ बच्चों चलो मनाने मिलकर हम सब दिवाली, आएँगी सज-धज कर घर में डोली पर बैठकर माँ काली। दीपों से हम घर को सजाएँगे मधुर से…
दिवाली में -रामकिशोर पाठक
दिवाली में सजाकर गाँव की गलियाँ करें रौशन दिवाली में। सजा दो फूल की लड़ियाँ लगे उपवन दिवाली में।। बताना आज है सबको तिमिर फैला घनेरा है। मिटाना है हमें…
दीपक के कई रूप रत्ना प्रिया
दीपक के कई रूप एक दीप, आशा की किरण, निराश मन की आशा | एक ज्योति, उज्ज्वल दृष्टि, नयनों की ज्योति | एक दीपक, बुढ़ापे की लाठी, कुल की कीर्ति…
मीठी बोली- रामपाल प्रसाद सिंह
मीठी बोली। कोयल के लिए स्वर,अनमोल सरोवर, डूबने को हर लोग,चाहते हैं दिन-रात। काक काला लिए रंग,कंठस्थ है स्वरभंग, करते बच्चों को तंग,निर्दयी पक्षी की जात। आचार-विचार से ही,पहचान मिलती…
वंदनवार सजे शारदा – रामपाल प्रसाद सिंह
वंदनवार सजे शारदा शोर हुआ अब कानन में। मदिरा सवैया भोर हुई उठ जा प्रिय जीवन, बोल रही कोयल वन में। स्वप्न निरंतर देख रही तुम, शोर हुआ अब कानन…
रामायण पढ़ते हैं – राम किशोर पाठक
गीतआओ चिंतन कर लें थोड़ा, जो खुद गढ़ते हैं।गाथा सुंदर रामायण की, हम-सब पढ़ते हैं।। आओ चिंतन कर लें थोड़ा, जो खुद गढ़ते हैं।गाथा सुंदर रामायण की, हम-सब पढ़ते हैं।।…
मेरी पोषण वाली थाली – अवधेश कुमार
मेरी पोषण वाली थाली : बाल कवितामाँ ने सजाये थाली में अनोखे रंग ,पोषण थाली अब करेगी कुपोषण से जंग । मोटे अनाज देंगे हमें बल,गेहूँ, चावल भरें संबल। दाल…
कैसे कह दूं – बैकुंठ बिहारी
कैसे कह दूंकैसे कह दूं कि सब ठीक है,अजीब सी बेचैनी है।कैसे कह दूं कि सब ठीक है,अजीब सा अधूरापन है।कैसे कह दूं कि सब ठीक है,अजीब सी दुविधा है।कैसे…