पुकारिए उसे सदा – पंचचामर/नराच/नागराज छंद गीत १२१-२१२-१२१-२१२-१२१-२ लखे कभी विकार तो, सवाल जो तजा करे। पुकारिए उसे सदा, विचार शुद्ध जो भरे।। सखा किसे कहें यहाँ, सवाल आज है…
बच्चो को सिखाइए-जैनेन्द्र प्रसाद सिंह
बच्चों को सीखाइए जल हरण घनाक्षरी छंद खलिहान छत पर- जहांँ भी जगह मिले, बागवानी करने को, बच्चों को भी सीखाइए। हवा व पानी के लिए , खुशी से जीने…
होकर मगन -रामपाल प्रसाद सिंह
होकर मगन गगन के नीचे, दौड़ रहे ये बच्चे हैं। जिन्हें देखकर वयोवृद्ध सब,अंतर मन से नच्चे हैं।। हरियाली के बीच निरंतर,कोयल की मीठी बोली, विहग सरीखे उड़ते जो हैं,डाल…
हृदय की पुकार -बैकुंठ बिहारी
हृदय की पुकार हे मानव। सुन हृदय की पुकार, प्रकृति से मित्रता कर, प्रकृति का सम्मान कर, पेड़ पौधे जीव जंतु का सम्मान कर। हे मानव। सुन हृदय की पुकार,…
बाल कविता – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
होकर मगन गगन के नीचे, दौड़ रहे ये बच्चे हैं। जिन्हें देखकर वयोवृद्ध सब,अंतर मन से नच्चे हैं।। हरियाली के बीच निरंतर,कोयल की मीठी बोली, विहग सरीखे उड़ते जो हैं,डाल…
पुरुष होना आसान नहीं…मनु कुमारी
जिम्मेदारी का बोझ उठाए।अपने नींद और चैन गंवाए।वो मेहनत करें आराम नहीं ।पर मिलता उसे सम्मान नहीं ।सुनो!पुरुष होना आसान नहीं। मिलते हैं उसे कई उपनाम ।बुजदिल,नकारा,जोरू का गुलाम। डरपोक,नालायक…
काम का महत्व-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
सीखाते कुरान-गीता, गुरुजन माता-पिता, हमें ये जीवन नहीं, मिला है आराम को। मजदूर किसानों को मिलता विश्राम नहीं, सुबह सबेरे जाग, चल देते काम को। कोई काम छोटा-बड़ा होता है…
लेखनी-एस.के.पूनम
सोच रही है लेखनी, कहाँ से प्रारंभ करुँ, फँस गया विचारों में,हो न जाए परिहास। तूलिका भी डर रही, कागज है निष्कलंक, शब्दों की बुनाई ऐसी,पाठक को आई रास। डंठल…
शिक्षक – कहमुकरी राम किशोर पाठक
शिक्षक – कहमुकरी सबके हित को तत्पर रहता। अपने हक में कभी न कहता।। दोष गिनाते बने समीक्षक। क्या सखि? साजन! न सखी! शिक्षक।।०१ भूली बिसरी याद दिलाए। रोज नया…
राष्ट्र भक्त हम, कहलाएँ- वासुदेव छंद गीत राम किशोर पाठक
राष्ट्र भक्त हम, कहलाएँ- वासुदेव छंद गीत राष्ट्र हेतु हम, मिट जाएँ। राष्ट्र-भक्त हम, कहलाएँ।। आओ मिलकर, पले यहाँ। कदम मिलाकर, चले जहाँ।। गीत संग हम, यह गाएँ। राष्ट्र-भक्त हम,…