शिक्षक – कहमुकरी
सबके हित को तत्पर रहता।
अपने हक में कभी न कहता।।
दोष गिनाते बने समीक्षक।
क्या सखि? साजन! न सखी! शिक्षक।।०१
भूली बिसरी याद दिलाए।
रोज नया वह राह दिखाए।।
दोष मिटाए जैसे पावक।
क्या सखि? साजन! न सखि! अध्यापक।।०२
प्रेम सुधा चित में है बहता।
नैनों से ही है कुछ कहता।।
संग नेह करता सभी कार्य।
क्या सखि? साजन! न सखि! आचार्य।।०३
हँसकर गले लगाता है वह।
पीड़ा कम कर जाता है वह।।
उसकी कोशिश करे आबाद।
क्या सखि? साजन! न सखि! उस्ताद।।०४
कभी हँसाए कभी रुलाए।
जीवन का हर मर्म बताए।।
कर देता है महिमा मंडित।
क्या सखि? साजन! न सखी! पंडित।।०५
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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