विधाता छंद (1) कलम है पास में मेरे, सदा तैयार लिखने को। पटल पर खास शब्दों को, उकेरा है सिखाने को। निराशा में डगर बदली, पढ़ाया पाठ जीने का। मदय…
Tag: एस.के.पूनम
वीर कुँवर की हुंकार – एस. के. पूनम
विधा: मनहरण छंद मगध की भूमि पर, कुँवर सेनानी वीर, हुंकार शार्दूल सम, दुश्मनों के काल थे। न थी उम्र की चिंता, न थी शिकन की रेखा, आभा लिए रवि-सम,…
वसुधा पुकारती – एस. के. पूनम
विधा – मनहरण छंद तड़ाग में भरा पंक, अब खिलेगा सारंग, पुष्प पर बैठे अलि, बना है शरारती। लुभावने लग रहे, ऊँचे-ऊँचे तरुवर, छोटे-मोटे वृक्षों पर, फैल रही मालती। प्रकाश…
है बेबस धरती – एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी बहती है कलकल, सोचती है हरपल, सूखे नहीं नीर कभी,यही दुआ करती। तट पर आशियाना, साधु-संतों का ठिकाना, होता यशोगान हरि,वेदना को हरती । गर्भ में जहान पले,…
तुझे अपनाना है- एस.के.पूनम
गगन में मेघ छाए, ठंडी-ठंडी बूंदें लाए, अंबु से सरिता भरी,हरि को पिलाना है। चल पड़े आप साथ, थाम रखें मेरा हाथ, नदियाँ उफन रही,उस पार जाना है। कन्हैया की…
मधुमास की घड़ी – एस.के.पूनम
काली कच लहराई, विन्यास निखर आई, हाथों में मेंहदी लगे,प्रतीक्षा में थी खड़ी। सोलह श्रृंगार कर, वरमाला डाल कर, साक्षी बने दीया-बाती,चरणों में थी पड़ी। सवार थे अश्व पर, धरा…
उसे नित्य सींचिए – एस.के.पूनम
विधा:-मनहरण घनाक्षरी कानन से वृक्ष कटे, शीत भरी छाया हटे, तप्त हुई वसुंधरा,नीर मत पीजिए। यत्र-तत्र कूडादान, चल पड़ा अभियान, गंदगी से मिले मुक्ति,निर्णय तो लीजिए। मेघपुष्प सूख रहे, जीव-जंतु…
कसक किसानों की – एस.के.पूनम
🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 विधा:-मनहरण घनाक्षरी (कसक किसानों की) लालिमा के संग जागे, टोकरी उठाए भागे, ढूंढ रहे फलियों में,श्रमदान महानों की। पग धरे तप्त धरा, सूख गए बाग हरा, कृषक…
वट सावित्री – एस.के.पूनम
त्याग की मूर्ति है नारी, खुशियाँ देती हैं सारी, दिलाती है पहचान,सब कुछ त्याग कर। मायका को छोड़ आती तन,मन,धन,लाती, गागर भरती रही,हृदय में प्रीत भर। जीवन में संग तेरे,…
मतदान- एस.के.पूनम
विधा:-जलहरण घनाक्षरी विषय:-मतदान। चुनाव का शंखनाद, स्वपनों का डाले खाद, देने को वचनबद्ध,नव रीत गढ़कर। पूनम की चाँद आज, करे कुछ ऐसा काज, नेता हाथ जोडकर,वोट माँगे मढ़कर। मतदान अधिकार,…