पितृ दिवस
काश मैं भी महसूस कर पाती,
पितृ दिवस मेरे हिस्से कभी न आई।
वो प्यार भरी बातों को,
वो दुलार, वो स्नेह,
काश मैं भी महसूस कर पाती,
पितृ दिवस मेरे हिस्से कभी न आई।
ऊँगली पकड़कर चलना,
माथे पर आशीर्वाद दिए हाथ,
उनकी परछाइयों को कदम से कदम मिलाकर चलना,
उनके प्रेम में वात्सल्य पाना,
काश मैं भी महसूस कर पाती,
पितृ दिवस मेरे हिस्से कभी न आई।
क्या होता है जब सपने तुम देखो और पूरा वो करें,
अच्छे कामों में जो आपके पीठ थपथपाएंँ,
जो तुमको बनाने में खुद की हस्ती मिटा दे,
दुःखी होने पर जो हमेशा बोले,
मैंं हूंँ न
काश मैं भी महसूस कर पाती,
पितृ दिवस मेरे हिस्से कभी न आई।
जो हर वक्त आपका साथ दे,
सहारा दे, आत्मविश्वास बढ़ाए,
आपके हर गलतियों को माफ करें,
काश मैं भी महसूस कर पाती,
पितृ दिवस मेरे हिस्से कभी न आई।
पूजा कुमारी
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय औरिया रमौती नवहट्टा सहरसा