जनगणना गीत हे बहिना जाय छी करै लय जाति जनगणना कार्य हे गरमी में सबके अंगना द्वार हे ना। जाय छी सबके अंगना द्वार लैछी सबकेअ नाम पुकार हे बहिना…
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मां की विवशता- दया शंकर गुप्ता
आइए करें एक विचार, क्या मिला है अब भी, माताओं को उचित सत्कार? जेहन में आता है घटना बार बार, जा रहा था बस से मै बाजार, अचानक एक नवजात…
शिव प्रार्थना- मीरा सिंह “मीरा”
मन मेरा है बना शिवाला रहता उसमें डमरू वाला डम डम डमरू बजा रहा है मन नाचे होकर मतवाला।। सांसो की है बजे बांसुरी जपती रहती शिव की माला। वो…
अन्नदाता -सुरेश कुमार गौरव
भारतीय किसान जाड़ा,गर्मी,बरसात सभी मौसमों की मार झेलते हुए ,फसलों के नुक़सान का भी दर्द झेलते हुए सदा अन्नदाता के रुप में तत्पर रहते हैं इन पर केन्द्रित हमारी ये…
बेटियाँ -जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद पढ़ लिख कर बेटी, पैरों पर खड़ी होती, माता-पिता को भी होती, आसानी सगाई में। विचार बदलकर, घर से निकल गई, चूड़ी की जगह ले ली, कलम…
बाल श्रमिक की व्यथा-सुरेश कुमार गौरव
शिक्षा के मंदिर में जाऊं तो जाऊं कैसे! जैसे सब बच्चे हाजरी लगाते हैं जैसे!! है मजबूरियां मेरी और जिम्मेदारियां भी! शिक्षा के रोज गीत गाने का इरादा बदल गया!!…
ह्रदय की पुकार- अमरनाथ त्रिवेदी
ह्रदय की पुकार पर , बढ़े चलो -बढ़े चलो । मन कभी विचलित भी हो , तुम भटक गए पथिक भी हो । सुनो हमेशा अपनी पुकार पर , रुको…
ठंड कटे कोट से- एस.के.पूनम
विद्या:-मनहरण घनाक्षरी निकली है हल्की-हल्की, कहीं धूप-कहीं छांह, मौसम बेदर्द बना,पवन की चोट से। ताक-झांक कर रहा, बारबार झरोखों से, लालिमा दिखती नहीं,बादलों के ओट से। बूंदाबांदी होती रही, भरा…
अग्निवीर- सुरेश कुमार गौरव
ये जीवन अग्निपथ ! इस जीवन का है सुगम-पथ अहिंसा-पथ जीवन का है, सबसे अच्छा सु-पथ। हिंसा सभ्य समाज की नहीं रही है कभी सोच कैसे देश आगे बढ़े यही…
“मानवी”- सुरेश कुमार गौरव
हुई धरा पर जब से मैं अवतरित,श्रद्धा का पूरा आवरण हूं, नाम धराया “मानवी” व “अंशिका”,इसी का मैं अन्त:करण हूं, सबकी गोद में खेलती-देखती, चहुंओर बांटती खूब ममता सबके मन…