अन्नदाता -सुरेश कुमार गौरव

भारतीय किसान जाड़ा,गर्मी,बरसात सभी मौसमों की मार झेलते हुए ,फसलों के नुक़सान का भी दर्द झेलते हुए सदा अन्नदाता के रुप में तत्पर रहते हैं इन पर केन्द्रित हमारी ये…

बाल श्रमिक की व्यथा-सुरेश कुमार गौरव

शिक्षा के मंदिर में जाऊं तो जाऊं कैसे! जैसे सब बच्चे हाजरी लगाते हैं जैसे!! है मजबूरियां मेरी और जिम्मेदारियां भी! शिक्षा के रोज गीत गाने का इरादा बदल गया!!…

ठंड कटे कोट से- एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी निकली है हल्की-हल्की, कहीं धूप-कहीं छांह, मौसम बेदर्द बना,पवन की चोट से। ताक-झांक कर रहा, बारबार झरोखों से, लालिमा दिखती नहीं,बादलों के ओट से। बूंदाबांदी होती रही, भरा…

“मानवी”- सुरेश कुमार गौरव

हुई धरा पर जब से मैं अवतरित,श्रद्धा का पूरा आवरण हूं, नाम धराया “मानवी” व “अंशिका”,इसी का मैं अन्त:करण हूं, सबकी गोद में खेलती-देखती, चहुंओर बांटती खूब ममता सबके मन…