दोहा (मां)- मनु रमण चेतना

मां की छवि को देखकर,आए जिय में जान। उनसे बढ़कर कुछ नहीं, वह होती भगवान।। मनसा अन्तर सेवतीं, वचसा कर फटकार। मृदु वचनामृत बोलकर, देतीं स्नेह अपार।। मां है धरती…

दोहा- मनु रमण चेतना

जब कोई तकलीफ़ हो, बिगड़े सारे काम। दुखी न होना चाहिए, भजिए केवल राम।। मोह दुखों का मूल है, तजिये सकल विकार। मंत्र-जाप दिन रैन कर,करिये भवनिधि पार। साहब हीं…

नारी- दीपा वर्मा

नारी बेचारी,पापा की प्यारी, भैया की दुलारी। मायके की लाज बचाती, ससुराल की आन निभाती। काम के बोझ की मारी, थकी-हारी ,नारी बेचारी। सबके लिए बनी नारी, उसकी नहीं होती,…

उज्ज्वल रखना भाल – मनु कुमारी

इम्तिहान का आ गया,सुंदर सा परिणाम। उल्लासित बच्चे यहां, खूब करेंगे नाम।। बच्चे निर्धन के सदा, पढ़ते मन चित लाय। शिक्षा हेतु और नहीं,कोई यहां उपाय।। नैतिकता की सीख ले,…

मानव – दीपा वर्मा

मानव अपने दंभ मे ..किमी की सुनता नहीं. मैं सबसे उत्तम बस यही, वह जानता है। कोई हमसे भी श्रेष्ठ हो सकता है,वह कभी मानता नहीं। अपने इस गुमान मे,…

बंधन – सुरेश कुमार गौरव

जीवन एक विश्वास रुपी है अनोखा बंधन, रक्त के तो कहीं बिना रक्त के कहलाते बंधन, हर्ष-विषाद,खट्टी-मीठी और अनोखी यादों का, भरोसे, धैर्य, विश्वास, प्रेम,आशामय रुप का, पर जीवन एक…

बाली रे उमरिया – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

प्रभाती पुष्प मनहरण घनाक्षरी छंद बाली रे उमरिया 🌹🌹🙏🙏🌹🌹 एक दिन राधा रानी भरने को गई पानी, भूल बस चली गई, गोकुल नगरिया। देख के सुंदर गांव ठिठक गई थी…