पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य। मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…
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वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…
देश हमारा -राम किशोर पाठक
देश हमारा हरपल आगे। भारत वासी जब-जब जागे।। आदर देते हम-सब आएँ। भारत माँ की जय-जय गाएँ।। देव यहीं भूतल पर आते। धन्य धरा को कर सब जाते।। भूतल है…
स्कूल कितना जरूरी है – अमृता कुमारी
स्कूल कितना जरूरी है! यह स्वतंत्र हंसी ये आंखों की चमक बता रही है कि… लड़कियों के लिए स्कूल कितना जरूरी है! अपने सपनों को एक दूसरे से कहकर…
शराब कभी न पिएंगे – बिंदु अग्रवाल
शराब कभी न पिएंगे आज अचानक मन में एक खयाल आया.. गम को कम कैसे करें यह सवाल आया.. सोचा चलो हम भी पीकर झूमते है, यूँ शराब…