बहती गंगा-सी पुण्यधार रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य।   मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…

वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…