हिंदी – गिरिधर कुमार

Giridhar

हिंदी

 

हिन्द की आवाज,

प्राकृत, पाली, संस्कृत से क्रमशः

निःसृत,

भारतीयता की पहचान हिंदी।

 

भारतेंदु से पंत तक,

महादेवी से भावपूरित,

निराला के अंनत तक,

दिनकर की ओज से,

रेणु के संसार तक,

प्रेमचंद से स्थापित,

अज्ञेय के आकाश तक,

छायी है हमारी हिंदी।

 

हिंदी हमारी, सुख-दुख की भाषा,

हिंदी यह, जीवन की गाथा,

यही पहचान, अस्मिता यही,

मन बस यही भाव दोहराता।

 

बस यही सत्य,

हिंदी, सब-रस,

हृदय में धारित हिंदी भाषा।

 

गिरिधर कुमार

राजकीय मध्य विद्यालय सौरिया,

डंडखोरा, कटिहार(बिहार)

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