एक दीप इनके नाम – संजय कुमार

आइए, जलाते हैं एक दीप अपने माता-पिता की लम्बी आयु के लिए, जिन्होंने हम सबको सुंदर संस्कार दिए। आइए, जलाते हैं एक दीप अपने गुरुजनों के लिए, जो अच्छी शिक्षा…

आओ सब मिल दीप जलाएँ- संजीव प्रियदर्शी

  आओ सब मिल दीप जलाएँ नाचें- गाएँ खुशी मनाएँ। मन के भीतर का अँधियारा, भव भय भ्रम सब दूर भगाएँ।। आओ सब मिल दीप जलाएँ। झिलमिल-झिलमिल दीपक भाते गेह-द्वार…

तमस मिटा चलो दीप जलाएँ- विवेक कुमार

आओ चलो चलें दीप जलाएँ, काले अँधियारे को दूर भगाएँ, संग चलें और घुलमिल जाएँ, तमस मिटा, चलो दीप जलाएँ। मन के मैल को आज मिटाएँ, नकारात्मकता को परे हटाएँ…

पावन शरद ऋतु – अमरनाथ त्रिवेदी

पावन शरद ऋतु की बहुत बड़ाई , सबके चित्त  नित  परम  सुहाई । आश्विन, कार्तिक होते अति  पावन, दिल  को  लगते  हैं  अति  भावन। पर्वों  का   यह   पवित्र   महीना, नित …

दिवाली आज मनाएँगे- रामकिशोर पाठक

  दादा जी फुलझड़ी चाहिए, जगमग वाली लड़ी चाहिए, हम भी दीप जलाएँगे, दिवाली आज मनाएँगे। देखो पटाखे फूट रहे हैं, लगता तारे टूट रहे हैं, रंगोली भी तो बनाएँगे,…