राज को न खोलिए..रामकिशोर पाठक

Ram Kishore Pathak

राज को न खोलिए
२१२-१२१-२


राज को न खोलिए।
और से न बोलिए।।

प्रीति नैन में बसी।
आप खास हो लिए।।

शब्द-शब्द खास है।
जो मिठास घोलिए।।

पत्र प्रेम में लिखा।
प्रेम को न तोलिए।।

रात बीत ही गयी।
आप बात को लिए।।

दोष जो मिला नहीं।
क्षुब्ध आप रो लिए।।

मैं किया मजाक था।
खास आप जो लिए।।

जुल्म आप मानते।
छोड़ हाथ धो लिए।।

वक्त एक खास था।
वक्त खास ढो लिए।।

आस आप से यही।
साथ-साथ डोलिए।।

अश्क आज गाल को।
मौन-मौन टो लिए।।

ख्वाब देखते हुए।
नैन आज सो लिए।।

बोल दो जरा हमें।
हार क्यों न दो लिए।।


रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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