जग में ऐसा कुछ काम करो,
जिससे पर की भी भलाई हो पाए।
सपनों में न कभी ऐसी सोच रखो,
जिससे अपनों से जुदाई हो जाए।
न केवल सपने बुनो मन में,
अमल भी साथ करते रहना।
अपने संग स्वदेश का भी,
कुछ ख्याल सदा दिल में रखना।
कभी किसी पर कुछ बोल भी दो,
उसकी भलाई के लिए ही ऐसा करना।
मन में निरंतर सद्भाव लिए,
दिल में भी सफाई सदा रखना।
जीवन में बड़ा लक्ष्य सदा ही,
कुछ लेकर ही है चलना।
काम, क्रोध, लोभ के मग में,
कभी कुमार्ग में पग मत रखना।
जीवन जीना बारीकी से,
अल्हड़ता से सदा बच के रहना।
वाणी में सदा संयम हो
और सोच सदा उत्तम रखना।
कर्त्तव्य मार्ग के पथिक तुम,
निरंतर तुझको है चलते रहना।
अपने लक्ष्य को न छोड़ कभी,
विपरीत दिशा में पग मत रखना।
जहाँ जन्म हुआ उस मिट्टी का,
नित ध्यान सदा उसका रखना।
जीवन को सन्मार्ग धरा पर,
चलने का प्रयत्न सदा करना।
प्रेम की बात सदा करना,
जिससे दिल दूसरों से जुड़ जाए।
छल से सदा बच के रहना,
जिससे मन की भी सफाई हो पाए।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, जिला-मुजफ्फरपुर