नारी बेचारी,पापा की प्यारी, भैया की दुलारी। मायके की लाज बचाती, ससुराल की आन निभाती। काम के बोझ की मारी, थकी-हारी ,नारी बेचारी। सबके लिए बनी नारी, उसकी नहीं होती,…
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बेटी की सफलता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
माता की दुलारी बेटी, दुनिया में न्यारी बेटी, आसमान छूने का ये, तरीका नायाब है। खतरों से खेल कर, दबावों को झेलकर, होता है सफल वो जो, झेलता दबाव है।…
लहराईं परचम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
लहराईं परचम, दिखलाई दमखम, आज हमारे देश को, बेटियों पे नाज है। रही नहीं छुई-मुई, देखो कामयाब हुई, एक बार फिर सजा, सिर पर ताज है। थके बिना माने हार,…
कर्मनिष्ठ – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
जिन्हें विश्वास हो खुद पर, सदा आगे वो बढ़ जाते। करते कर्म की पूजा,कर्मयोगी वो कहलाते। नहीं करते शिकवा वो,नहीं कोसते हैं नियति को। बनाकर राह पर्वत में,दशरथ मांझी बन…
महात्मा बुद्ध- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
संसार से नेह तोड़, ईश्वर से नाता जोड़, सिद्धार्थ से बन गए, बुद्ध भगवान हैं। धूप – ताप सहकर, भूखा प्यासा रहकर, वैशाख पूर्णिमा दिन, पाए आत्मज्ञान हैं। लुंबिनी में…
“मानवी”- सुरेश कुमार गौरव
हुई धरा पर जब से मैं अवतरित,श्रद्धा का पूरा आवरण हूं, नाम धराया “मानवी” व “अंशिका”,इसी का मैं अन्त:करण हूं, सबकी गोद में खेलती-देखती, चहुंओर बांटती खूब ममता सबके मन…
जागृति-अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व अमित आख्यान सुन , क्यों नहीं तू सँभल रहे हो ? किस द्वेष -राग मे लिप्त हो , मानवता को ठुकरा रहे हो ? किन संकीर्ण स्वार्थों के बीच…
वंश की अंश -अपराजिता कुमारी
हर वंश की अंश है बेटियां दो कुल की शान, गुमान है संस्कृति संस्कार हैं बेटियां घर आंगन की राग अनुराग है तीज त्योहारों की रौनक है साजो श्रृंगार रस्मो…
कर्मयोगी – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता…
शुभागमन-विवेक कुमार
शुभागमन निश्छल चंचल मन, आंखों में संजोएं, सपनों की उमंग, फंख फैलाए भरने को गगन की उड़ान, नव आगंतुकों हेतु सज चुका है, शिक्षा का दरबार, आइए पधारिए हमारे भविष्य…