बेटियाँ- गिरीन्द्र मोहन झा

धन्य वह गेह, जहाँ खिलखिलाती हैं बेटियाँ, धन्य वह गेह, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ, धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ, सारे देवों का वास वहाँ, जहाँ सम्मानित हैं बेटियाँ, बेटी…

कब तक हार से डरते रहोगे – गुड़िया कुमारी

  कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे, कब तक हार से डरते रहोगे। कदम आगे बढ़ाना होगा, अगर लक्ष्य को पाना होगा। हार-जीत का खेल भी होगा, साहस तुम्हें दिखलाना…

प्यारी भाषा हिंदी – अमरनाथ त्रिवेदी

हिंदी  हैं  हम  वतन हैं , यह  हिंदोस्ता   हमारा। यह भाषा बहुत सरल है, यह  सौभाग्य है हमारा।। हिंदी  जितनी  सहज  है, उतनी  न  कोई   भाषा। विश्व रंगमंच पर ये…