मेरी अभिलाषा – डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

  अभिलाषा अहर्निश है मेरी संताप हरने की। जीवन में सत्य सुन्दर और अतुलित प्राण भरने की।। समर्पित इस धरा को तम से आजाद करने की। अभिलाषा अहर्निश है मेरी…

मेरी अभिलाषा – डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

  अभिलाषा अहर्निश है मेरी संताप हरने की। जीवन में सत्य सुन्दर और अतुलित प्राण भरने की।। समर्पित इस धरा को तम से आजाद करने की। अभिलाषा अहर्निश है मेरी…

सूरज भैया – अवनीश कुमार

  सूरज भैया सूरज भैया क्यों है तुम्हारे गाल लाल क्या मम्मी ने तुम्हें डाँटा है या पापा ने मारा तमाचा है? ये गुलाबी नहीं दिखते मुझको तुम्हारे अंगारों से…

दूर तक चलते हुए -शिल्पी

घर की ओर लौटता आदमी होता नहीं कभी खाली हाथ हथेलियों की लकीरों संग लौटती हैं अक्सर उसके अभिलाषाएं, उम्मीद, सुकून और थोड़ी निराशा घर लौटते उसके लकदक कदम छोड़ते…