(मानवता के आईने में झाँकती एक कविता) क्या तुमने कभी देखा है…बेबस, लाचार हर उस औरत कोजो ढो रही है अपनी जिम्मेदारियों कोअपने सामर्थ्य की अनंत सीमा से परे जाकर।…
Category: Bhawna
समस्या – बैकुंठ बिहारी
समस्याजीवन का अभिन्न अंग है समस्या,सुख का साथी है समस्या,दुख का साथी है समस्या,भूत का साथी है समस्या,वर्तमान का साथी है समस्या,भविष्य का साथी है समस्या,कर्म का साथी है समस्या,विकर्म…
मैं चाहूं भईया का प्यार -मनु कुमारी
मैं चाहूँ भईया का प्यार ! बहुत प्यारे हैं मेरे भईया, माँ पापा के दुलारे हैं मेरे भईया । ईश्वर उनकी रक्षा करना, वो सुख से खेवे जीवन नैया। ।…
एक सांस में जलता जीवन -अवधेश कुमार
एक सांस में जलता जीवन (नशा मुक्ति पर कविता) नशा नहीं है किसी समाधान, ये लाता केवल दुख का जहान। गांजा, सिगरेट, स्मैक, सुलेशन, युवा में बढ़ता सूखे नशे का…
स्वयं की खोज-अवधेश कुमार
स्वयं की खोज : – भीड़ में गुम है कोई पहचान , हर चेहरा / मुखौटा जैसे एक समान। धन की दौड़ हो या सुख की चाह, मन में दर्द…
मां की लाल साड़ी – अवधेश कुमार
माँ की लाल साड़ीअलमारी के कोने में अब भी टंगी है वो लाल साड़ी,जिसमें बसती है माँ की मुस्कान — प्यारी, आत्मीय, सादगी से भरी।दीवाली की रात हो या छठ…
भुला नहीं हूं -बैकुंठ बिहारी
भूला नहीं हूं बाल्यावस्था की शरारत भूला नहीं हूं, माता-पिता की आंखों में प्रसन्नता के अश्रु भूला नहीं हूं, किशोरावस्था का उतार-चढ़ाव भूला नहीं हूं, काम, क्रोध, मद लोभ, मोह…
ऋण बैकुंठ बिहारी
ऋण ऋण माता का, ऋण पिता का, ऋण भाई बहन का, ऋण प्रियजनों का।। ऋण मित्र का, ऋण शत्रु का, ऋण परिचित का, ऋण अपरिचित का।। ऋण समय का, ऋण…
पानी – गिरींद्र मोहन झा
पानी तू रंगहीन होती, फिर भी तेरे रंग अनेक,श्रेष्ठ विलायक बनकर तू कितनों को करती एक,आंखों का पानी, हो सबके आंखों में थोड़ा पानी,ऐसा कृत्य न कर कि होना पड़े…
मर्द
क्या मर्द को दर्द नहीं होता ? …