Category: Bhawna
सम्मान – भवानंद सिंह
शिक्षक हूँ, बस मान चाहिए। थोड़ा- सा सम्मान चाहिए।। कोरा कागज हो, या हो पानी उसमें रंग मैं भरता हूँ। कलाकार हैं बड़े प्रवीण हम, छात्रों को यह बतलाता हूँ।।…
सूरज भैया – अवनीश कुमार
सूरज भैया सूरज भैया क्यों है तुम्हारे गाल लाल क्या मम्मी ने तुम्हें डाँटा है या पापा ने मारा तमाचा है? ये गुलाबी नहीं दिखते मुझको तुम्हारे अंगारों से…
दूर तक चलते हुए -शिल्पी
घर की ओर लौटता आदमी होता नहीं कभी खाली हाथ हथेलियों की लकीरों संग लौटती हैं अक्सर उसके अभिलाषाएं, उम्मीद, सुकून और थोड़ी निराशा घर लौटते उसके लकदक कदम छोड़ते…
हाँ ठीक हूँ मैं – डॉ. स्वराक्षी स्वरा
यदि श्रृंगार के पीछे दर्द छुपा कर जीना ही ठीक होना होता है तो, हाँ, ठीक हूँ मैं। यदि काजल की रेखा खींच आँसुओं की नदी के लिए बाँध…
एक शिक्षक- पुष्पा प्रसाद
एक शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी बच्चो के साथ बिताते हैं। खुद सड़क की तरह एक जगह रखते है पर विद्यार्थी को मंजिल तक पहुंचा देते है । कोई पेशेवर खिलाड़ी…
मृत्यु -गिरीन्द्र मोहन झा
मृत्यु अटल है, शरीर की, मरण असम्भव, जमीर की, मृत्यु यदि मिले सुमृत्यु तो, देश हित, लोक हित में हो, यह मृत्यु अमर बना देती है, उच्च विचार, उच्च आदर्श…
मेरा गॉंव – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति
आइए मेरे गाँव में, अजी बैठिए छांव में, प्रकृति के नजारे को, समीप से देखिए। समृद्ध खलिहान है, मेहनती किसान हैं, ताजे-ताजे उपज का, आंनद तो लीजिए। कोलाहल से दूर…
त्याग – मनु कुमारी
त्याग प्रेम का मूल है , त्याग प्रेम आधार । त्याग से हीं लगता यहां , खिला – खिला संसार। त्याग की मूरत मां मेरी, देती तन – मन वार।…