अनुभव को अपनी अभिव्यक्ति पर पूरा गर्व का यह अवसर है भाषा-शब्द और भावों के मेल से कुछ कहने का सुअवसर है। सृजन हो चाहे किन्हीं रुपों और साजों में,हृदय…
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संकोच
संकोच संकुचित अस्त-व्यस्त हुआ है क्या मुझे क्यों पर गई हूं मै पस्त पहले तो कभी ऐसे ना झुंझलाया यह रक्तस्राव कौन सी बीमारी लाया किससे कहूं मन बहुत…