टीओबी बना शैक्षिक व बौद्धिक विचारों के दूत- सुरेश कुमार गौरव

अनुभव को अपनी अभिव्यक्ति पर पूरा गर्व का यह अवसर है भाषा-शब्द और भावों के मेल से कुछ कहने का सुअवसर है। सृजन हो चाहे किन्हीं रुपों और साजों में,हृदय…

संकोच

संकोच संकुचित  अस्त-व्यस्त हुआ है क्या मुझे क्यों पर गई हूं मै पस्त   पहले तो कभी ऐसे ना झुंझलाया यह रक्तस्राव कौन सी बीमारी लाया किससे कहूं मन बहुत…