मेरे गाँव की नदिया – संस्कृति चौधरी

गिरती है पर्वत से नदिया,
मेरे गाँव से बहकर जाती है

बारिश में नदिया इठलाती है,
हम बच्चों को खुश कर जाती है

फिर कुकू कोयल गाती है,
सबके मन को भाती है ।

गर्मी से झुलसे लोगों को,
शीतलता पहुँचाती है ।

मेरे गांव की नदिया,
खेतों को नहलाती है।

और किसानों के जीवन में,
खुशहाली भर कर लाती है।

फिर खेतों बागों मैदानों से,
बह कर सागर में मिल जाती है।

मेरे गाँव की नदिया,
बारिश में इठलाती हैं।

संस्कृति चौधरी
कक्षा VI
किशनगंज, बिहार

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