विश्व श्रमिक दिवस – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी सूर्य, चंद्र ग्रह सारे, चलें श्रम के सहारे, यदि श्रम को बिसारे, कष्ट भरमार है। सृष्टि का आधार यह, कर्ता कृत प्यार सह, श्रमिक सम्मान गह, चलता संसार…

सबको गले लगाएँ हम – राम किशोर पाठक

विधा: गीतिका भटके को राह दिखाएँ हम, सबको गले लगाएँ हम। कलुष भाव के घोर तिमिर में, प्रेम-पुंज फैलाएँ हम।। दुष्कर्मों का गंध भरा है, कर्म-पुष्प विकसाएँ हम। जो मानवता…

परशुराम जयंती- राम किशोर पाठक

दोहा छंद चार सनातन युग शुभद, करते ग्रंथ बखान। कालखंड सबके अलग, करे सभी गुणगान।।०१।। सतयुग का प्रस्थान था, त्रेतायुग तैयार। महिप सभी निरंकुश थे, करते अत्याचार।।०२।। शुक्ल पक्ष बैशाख…

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी आमोद प्रमोद संग, मन में भरे उमंग, आह्लाद विनोद रंग, नृत्य कर लीजिए। तन मन झूम उठे, आलस्य भी रहे रूठे, योग सरिस अनूठे, कृत्य यह कीजिए। नृत्य…

धरा विचार – मुक्तामणि छंद – राम किशोर पाठक

धरा विचार – मुक्तामणि छंद धरती कहती प्रेम से, सुनें प्यार से बातें। भूल अगर करते नहीं, आज नहीं पछताते।। भीषण गर्मी पड़ रही, काट रहे तरु प्यारे। पीने के…

विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी कार्यस्थल पर कहीं, दुर्घटना घटे नहीं, स्वास्थ्य सदा रहे सही, ध्यान यह धारिए। सभी जो है कर्मचारी, राष्ट्रहित शुभकारी, देखभाल रहे जारी, स्थल को निहारिए। स्वास्थ्य संरक्षण हित,…

शिवरात्रि है – राम किशोर पाठक

छंद – घनाक्षरी शिव शंकर की भक्ति, श्रद्धा भाव यथाशक्ति, मिटाती यह आसक्ति, बनें दया-पात्र हैं। मनाएँ हर माह में, त्रिपुरारी की छाँह में, कृपालु के पनाह में, रहें दिवा-रात्र…

दोहा विधान – राम किशोर पाठक

आओं हम सीखा रहे, दोहा लिखना खास। सरल तरीका है यही, करना है अभ्यास।।०१।। जान रहा हूँ मैं यहाँ, ज्ञान हमारा अल्प। फिर भी हूँ बतला रहा, दोहा का संकल्प।।०२।।…

कुँवर सिंह – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी मृगराज सी हुँकार, चमकती तलवार, अंग्रेजों को ललकार, किए जो कमाल थे। उम्र अस्सी किए पार, यौवन सी स्फूर्ति धार, रविसुत हो सवार, बने जो विकराल थे। गोली…